रविवार, 31 जनवरी 2016

क्रोध उथलेपन का सबूत


क्रोध सिर्फ उथलेपन का सबूत है।यह तुम ध्यान रखना। तुम जितने गहरे होते जाओगे,उतना क्रोध मुश्किल हो जायेगा।क्रोध से तुम किसीऔर का नुकसान नहीं कर रहे हो,सिर्फअपने को उथला बनाये हुए हो।और उथले पानी में बड़े जहाज़ नहीं रुकते। और तुम आशा बांधे हो,कभी परमात्मा का जहाज़ भी तुम्हारे किनारेआकर रुके।रुकने का उपाय नहीं है, किनारे लग नहीं सकता,क्योंकि उसके लिए गहरा पानी चाहिए। तुम्हारे किनारे तो तस्करों की डोंगियां ही लगेंगी,स्मगलर्स की छोटी-छोटी नावें लगेंगी, परमात्मा का जहाज नहीं लग सकता। उतनी ही जगह है तुम्हारे किनारे पर,उतना ही पानी है। पानी गहरा नहीं है। लेकिन परमात्मा का विराट जहाज तुम्हारे किनारे तभी लग सकता है, जब उतने विराट को झेलने की गहराई तुमने बना ली हो। क्रोध उथलेपन का सबूत है।
     पुराने प्राचीन चीन में एक नियम था। अब भी उस नियम की कोई लकीर कहीं-कहीं चलती है। कन्फ्यूसियस के जमाने में वह नियम पैदा हुआ।उन्नीस सौ दस में एकअमरीकन यात्री चीन गया।वह जैसे ही स्टेशन पर उतरा और स्टेशन के बाहर गया,वहां देखा, कि दो आदमियों में बड़ी घमासान लड़ाई चल रही है।मगर लड़ाई सिर्फ शब्दों की है।और कोई दो सौ आदमियों की भीड़ खड़े होकर देख रही है।और निरीक्षण ऐसे हो रहा है,जैसे कोई बड़ा खेल हो रहा हो। वहअमकीरन भी खड़ा हो गया।जल्दी ही तूफान इतने करीब आया जा रहा है कि जल्दी ही उपद्रव होगा। और बात वे इतने गुस्से में कर रहे हैं,चीख रहे हैं,चिल्ला रहे हैं,और एकदूसरे पर बिलकुल झपट रहे हैं, लेकिन वह बड़ा हैरान हुआ कि मारपीट शुरू क्यों नहीं होती? इतनी भूमिका क्यों चल रही है?तो उसने एक चीनी से पूछा कि मैं समझ नहीं पा रहा।बड़ी देर हो गई,आखिर कभी की मारपीट हो गई होती हमारे मुल्क में,यह इतनी देर क्यों लग रही है?उस चीनी ने कहा,यहां नियम है। नियम यह है,कि जो पहले हमला करे वह हार गया। बस,फिर मामला खतम!जैसे ही इन दो में से किसी ने हमला किया,भीड़ हट जायेगी। मामला खत्म ही हो गया है। जो पहले क्रोधित हुआ, वह उथला साबित हुआ। तो ये दोनों एक दूसरे को उकसा रहे हैं, कि किसी तरह दूसरा उत्तेजित हो जाये और हमला कर दे। जो बच गया हमला करने से,वह जीत गया।कन्फ्यूसियस ने इसकी आधारशिला रखी थी, कि क्रोध करने का अर्थ है आदमी हार ही चुका।अब उसे और हराने की ज़रूरत नहीं है।असल में हारा हुआआदमी ही क्रोध करता है।तुम जितने गहरे हो उतना ही क्रोध मुश्किल है। और तुम जितने गहरे हो उतनी ही हार असंभव है। गहराई विजय है उथलाई हार है। और गहरे पानी में ही परमात्मा का विराट जहाज़ तुम्हारे किनारे लगता है।

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