गुरुवार, 21 जनवरी 2016

सूखे और गीले नारियल का उदाहरण


शेख फरीद के पास कभी एकआदमी गया।और उस आदमी ने पूछा कि सुनते हैं हम कि जब मंसूर के हाथ काटे गये,पैर काटे गये,तो मंसूर को कोई तकलीफ न हुई,लेकिन विश्वास नहीं आता। पैर में कांटा गड़ जाता
है,तो तकलीफ होती है। हाथ-पैर काटने से तकलीफ न हुई होगी?और उस आदमी ने कहा,यह भी हम सुनते हैं कि जब जीसस को सूली पर लटकाया गया, तो वे ज़रा भी दुःखी न हुए। और जब उनसे कहा गया कि अंतिम कुछ प्रार्थना करनी हो तो कर सकते हो। तो सूली पर लटके हुए,कांटों से छिदे हुए, हाथों में खीलों से बँधे हुए, लहू बहते हुए उस जीसस ने अंतिम क्षण में जो कहा वह विश्वास के योग्य नहीं है, उस आदमी ने कहा,जीसस ने कहा कि क्षमा कर देना इन लोगों को,क्योंंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।
     यह वाक्यआपने भी सुना होगा। और सारी दुनियाँ में जीसस को मानने वाले लोग निरंतर इसको दोहराते हैं। यह वाक्य बड़ा सरल है। जीसस ने कहा कि इन लोगों को क्षमा कर देना परमात्मा,क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।इन पागलों को यह पता नहीं है किजिसको ये मार रहे हैं, वह मर ही नहीं सकता है। इसको माफ कर देना, क्योंकि इन्हें पता नहीं है कि ये क्या कर रहे हैं। ये एक ऐसा काम कर रहे हैं,जो असंभव है। ये मारने का काम कर रहे हैं, जो असंभव है। उस आदमी ने कहा कि विश्वास नहीं आता कि कोई मारा जाता हुआ आदमी इतनी करूणा दिखा सकता हो। उस वक्त तो वह क्रोध से भर जाएगा।
     बाबा फरीद जी खूब हँसने लगे।और उन्होने कहा, कि तुमने अच्छा सवाल उठाया। लेकिन सवाल का जवाब मैं बाद में दूँगा,एक छोटा-सा मेरा काम कर लाओ। पास में पड़ा हुआ एक नारियल उठाकर दे दिया, और कहा कि इसे फोड़ लाओ। लेकिन ध्यान रहे, इसकी गिरी को पूरा बचा लाना,गिरी टूट न जाये। लेकिन वह नारियल था कच्चा।उसआदमी ने कहा, माफ करिए, यह काम मुझसे न हो सकेगा। नारियल बिलकुल कच्चा है।और अगर मैने इसकी खोल तोड़ी,तो गीरी भी टूट जायेगी। तो उस फकीर ने कहा,उसे रख दो।दूसरा नारियल उसने दिया जो कि सूखा थाऔर कहा कि अब इसे तोड़ लाओ।इसकी गिरी तो तुम बचा सकोगे? उस आदमी ने कहा, इसकी गिरी बच सकती है।
     तो बाबा फरीद जी ने कहा कि मैने तुम्हें जवाब दिया, कुछ समझ में आया?उस आदमी ने कहा मेरी समझ में नहीं आया।नारियल से और मेरे जवाब का क्या संबंध है? बाबा फरीद ने कहा,यह नारियल भी रख दो,कुछ फोड़ना-फाड़ना नहीं है। मैं तुमसे यह कह रहा हूँ कि एक कच्चा नारियल है,जिसकी गिरी और खोलअभी आपस में जुड़ी हुई है।अगर तुम उसकी खोल को चोट पहुँचाओगे तो उसकी गिरी भी टूट जाएगी। फिर एक सूखा नारियल है।सूखे नारियल और कच्चे नारियल में फर्क ही क्या है? एक छोटा-सा फर्क है कि सूखे नारियल की गिरी सिकुड़ गई है भीतरऔर खोल अलग हो गई है। गिरीऔर खोल के बीच में एक फासला,एक दूरी हो गई है।अब तुम कहते हो कि इसकी हम खोल तोड़ देंगे तो गिरी बच सकती है। तो मैने तुम्हारे सवाल का जवाब दे दिया।
     उस आदमी ने कहा मैं फिर भी नहीं समझा।तो उन्होने कहा,जाओ, मरो और समझो। इसके बिना तुम समझ नहीं सकते। लेकिन तब भी तुम समझ नहीं पाओगे, क्योंकि तब तुम बेहोश हो जाओगे। खोल और गिरी एक दिन अलग होंगे,लेकिन तब तुम बेहोश हो जाओगे।और अगर समझना है,तो अभी खोलऔर गिरी को अलग करना सीखो। अभी,जिंदा में। और अगर अभी खोल और गिरी अलग हो जाएं, तो मौत खतम हो
गई। वह फासला पैदा होते से ही हम जानते हैं कि खोल अलग, गिरी अलग। अब खोल टूट जाएगी तो भी मैं बचूँगा। तो भी मेरे टूटने का कोई सवाल नहीं है, तो भी मेरे मिटने का कोई सवाल नहीं है। मृत्यु घटित होगी, तो भी मेरे भीतर प्रवेश नहीं कर सकती है, मेरे बाहर ही घटित होगी। यानी वही मरेगा, जो मै नहीं हूँ जो मैं हूँ वह बच जाएगा। ध्यान या समाधी का यही अर्थ है कि हम अपनी खोल और गिरी को अलग करना सीख जाएं।वे अलग हो सकते हैं, क्योंकि वे अलग हैं। वे अलग-अलग जाने जा सकते हैं, क्योंकि वे अलग हैं। इसलिए ध्यान है स्वेच्छा से मृत्यु में प्रवेश, जो आदमी अपनी इच्छा से मौत में प्रवेश कर जाता है,वह अनायास ही जीवन में प्रविष्ट हो जाता है। वह जाता है तो है मृत्यु को खोजने, लेकिन मृत्यु को तो नहीं पाता है, वहां परम जीवन को पा लेता है। वह जाता है तो है मृत्यु के भवन में खोज करने,लेकिन पहुंच जाता है जीवन के मन्दिर में।

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