कहते हैं एक दिन हज़रत खिज्ऱ और शैतान साथ साथ चले जाते थे। दोनों में अनेक प्रकार की बातें हो रही थीं। हज़रत खिज्ऱ ने कहा-तुम अपने कुकृत्यों से संसार की बहुत अधिक हानि कर रहे हो।
शैतान ने उत्तर दिया-हज़रत!बहुत बड़ी हानि मैं तो नहीं करता। मैं तो केवल छोटा-सा कार्य कर देता हूँ और वह अपने प्रभाव से इतनाअधिक विस्तृत और विशाल हो जाता है और इतनी अधिक हानि कर देता है कि उसकी नाप-तोल करना बुद्धि की सामथ्र्य से परे है।
हज़रत खिज्ऱ बोले-यह कैसे हो सकता है?छोटे से कार्य का इतना बड़ा परिणाम कैसे हो सकता है?कार्य यदि छोटा है तो उसका फल अथवा परिणाम भी छोटा ही होना चाहिए।
शैतान ने हँसते हुए कहा-हज़रत! बड़ का बीज कितना छोटा होता है,
परन्तु उसके वृक्ष को देखिये तो वह कितना विशाल होता है और कितने क्षेत्र में फैला होता है, इसका कोई हिसाब है?
हज़रत खिज्ऱ शैतान की बात सुनकर चुप हो गए।
यह देखकर शैतान ने कहा-ज्ञात होता है कि आपको मेरी बातों पर विश्वास नहीं आया। यदि ऐसा है तो फिर मैं आपको इसका प्रत्यक्ष प्रमाण दे दूँ?
हज़रत खिज्ऱ बोले-मैं ऐसे प्रमाण से बाज़ आया जिसमें लोगों की हानि निहित हो।और इस तरह के प्रमाण देखने की मुझे आवश्यकता भी भला क्या है?
किन्तु शैतान तो शैतान ही है।कुछ दूर जाने पर एक बड़ा हीसुन्दर नगरआया।वह किसी राजा की राजधानी थी। दोनों बातचीत करते हुए बाज़ार में घूम रहे थे कि एक हलवाई की दुकान नज़र आई। शैतान कहने लगा-हज़रत!मेरा तमाशा देखिये कि कैसे मेरे छोटे से कार्य से बहुत बड़ी हानि होती है। यह कहकर शैतान हलवाई की दुकान में घुस गया। वहां एक बड़ी कड़ाही में चाश्नी पक रही थी। शैतान ने उसमें अपनी एक अंगुली डुबोई और थोड़ी सी चाशनी निकालकर दीवार पर छिड़क दी और हज़रत खिज्ऱ के पास चला आया, जो दूर खड़े उसकी इस हरकत को देख रहे थे। दीवार पर लगी चाशनी की बू जो आसपास उड़ रही मक्खियों तक पहुँची,तो उस परआ बैठीं और लगीं उसे चाटने। कुछ उसी में फँस गई। संयोग की बात एक छिपकली की दृष्टि उन मक्खियों पर जा पड़ी,तो वह अपनी ज़बान लपलपाती हुई उन पर झपटी और कई मक्खियों को अपने पेट के हवाले किया।तभी एक बिल्ली की नज़र छिपकली पर पड़ीऔर वह उसकी ताक में नीचे फर्श पर बैठ गई। एक कुत्ता हलवाई की दुकान के बाहर खड़ा था। उसने जो बिल्ली को बैठे देखा तो उसपर छलाँग लगाई। बिल्ली घबराकर जो भागी तो चाशनी के कड़ाहे में जा गिरी। कुत्ते की दृष्टि तो बिल्ली पर थी। कड़ाहे की तो उसे खबर ही नहीं लगी,परिणाम यह हुआकि बिल्ली के साथ ही वह भी कड़ाहे में जा गिरा।चाशनी चूँकि गर्म थी,इसलिए दोनों के शरीर जलने लगे और वह ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगे। हलवाई ने जो यह देखा तो घबराकर कड़ाहा उलट दिया। कुछ चाशनी बाहर गिरी तो कुछ जलती हुई भट्ठी में।चाशनी का भट्ठी में गिरना था कि आग की लपटें उठीऔर छत्त कोआग लग गईऔर कुछ ही पलों में सारी दुकान जलकर राख हो गई। ज़रा से कार्य ने कितना अनर्थ और हानि कर डाली।
इसी प्रकार ही विचारों के मामले में भी समझ लेना चाहिए। एक छोटे से बुरे विचार ने मन मे स्थान पाया नहीं कि दूसरे बुरे विचार भी वहाँ घुसने शुरू हो जाते हैं और अपना दायरा धीरे-धीरे विस्तृत और विशाल करने लग जाते हैं, जिसके फल स्वरूप मनुष्य का पूरा जीवन ही नष्ट हो जाता है।इसलिए विचारों को कभी भी छोटा और महत्वहीन नहीं समझना चाहिए और हर समय सचेत रहते हुए बुरे विचारों को ह्मदय में पनपने ही नहीं देना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें