रविवार, 21 फ़रवरी 2016

फकीर सारी रात जागता था


         रात  कथूरी वंडिये  सुतियाँ  मिले न भाव।।
         जिन्हा नैन निंद्रावले तिन्हां मिलन को आव।।
एक फकीर हुआ जापान में। नाम था बोकोजू। पुराने जमाने की बात है नगर में क्या हो रहा है देखने के लिये छदमवेष में सम्राट घोड़े पर निकलता था।सारा नगर सोया रहता लेकिन यह फकीर वृक्ष के नीचे जागता रहता।अकसर तो खड़ा रहता। बैठता भी तो आँख खुली रखता। आखिर सम्राट की उत्सुकता बढ़ी। पूरी रात किसी भी समय जाता मगर इसको जागा हुआ पाता। कभी टहलता,कभी बैठता,कभी खड़ा होता लेकिन जागा होता।सम्राट उसे सोया हुआ कभी न पा सका। महीने बीत गये आखिर एक दिन उससे रहा न गया वह रूकाऔर कहा कि फकीर, एक उत्सुकता है।अनधिकार है कोई हक मुझे पूछने का नहीं लेकिन उत्सुकता घनी हो गई हैऔर अब पूछे बिना नहीं रह सकता।किसलिये जागते रहते हो रात भर? फकीर ने कहा कि सम्पदा है उसकी सुरक्षा के लिये। सम्राट और हैरान हुआ। उसने कहा, सम्पदा कहीं दिखाई नही पड़ती। ये टूटे फूटे ठीकरे पड़े हैं। तुम्हारा भिक्षा पात्र,ये तुम्हारे चीथड़े। इनको तुम सम्पदा कहते हो। दिमाग ठीक है?और इनको चुरा कौन ले जायेगा। उस फकीर ने कहा जिस सम्पदा की बात मैं कर रहा हूँ वह तुम्हारी समझ में न आ सकेगी। तुम्हें ठीकरे ही,गन्दे वस्त्र ही दिखाई पड़ सकते हैंऔर वस्त्र गंदे हों कि सुन्दर क्या फर्क पड़ता है?वस्त्र ही हैऔर ठीकरे टूटे फूटे हों कि स्वर्ण पात्र हों ठीकरे ही हैं इनकी बात ही कौन कर रहा है?एक और सम्पदा है जिसकी रक्षा करनी है।पर सम्राट ने कहा सम्पदा मेंरे पास भी कुछ कम नहीं मैं भी सोता हूँ। उस फकीर ने कहा तुम्हारे पास जो सम्पदा है तुम मज़े से सो सकते हो। वह खो भी जाए तो कुछ खोयेगा नहीं। मेरे पास जो है वह अगर खो गया तो सब खो जायेगा। और पहुँचने के बिल्कुल करीब हूँ। हाथ में आई आई की बात है चूक गया तो पता नहीं कितने जन्म लगेंगे।
     महापुरुष उस सम्पदा की बात करते हैं उसके लिये बड़ा जतन चाहिये,रातें जाग के बितानी पड़ती हैं, दिन होश में बिताना पड़ता है, एक एक कदम एक एक स्वांस जतन से लाना पड़ेगा।साधु का अर्थ है जो जतन से जी रहा है,जो भी कर रहा हैं होश पूर्वक कर रहा है सुरती से जी रहा है स्मरण पूर्वक जी रहा है।

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