मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

इक दिन आयेगा हंस ज़रूर बन्दे


एक दिन एक व्यक्ति ने श्री परमहंस दयाल जी के श्री चरणों में विनय की कि लंगर और भँडारों का काम तो व्यर्थ का खर्च ही मालूम होता है।इससे क्या लाभ होता है? यूं ही सुण्ड-मुण्ड साधु आकर खा पी जाते हैं।यह सुनकर श्री परमहंस दयाल जी ने फरमाया कि किसी राजा ने यह सुना कि मानसरोवर में हंस होते हैं और वे मोती चुगते हैं।वहां पर और भी हज़ारों तरह के पक्षी रहते हैं। परन्तु वहां सर्दी बहुत पड़ती है,इसलिये हर एक व्यक्ति का रहना वहाँ सम्भव नहीं।यह सुनकर उस राजा के मन में हंसों को देखने का चाव उत्पन्न हुआ। उसने अपने चतुर मंत्री को बुलाकर अपना विचार प्रकट किया। उसने निवेदन किया कि मैं हंसों के दर्शन तो आपको यहीं पर करा सकता हूँ, परन्तु इस में इतना अधिक व्यय होगा कि आप घबरा जायेंगे और आश्चर्य नहीं कि लोगों के कहने-सुनने से आपके मन में मेरे प्रति गलत धारणा उत्पन्न हो जावे।
          दाना डालना परिन्दों को शुरु कर दे।।
          इक  दिन  आयेगा  हंस ज़रूर बन्दे।।
     राजा ने उसे हर प्रकार से विश्वास दिलाया और कहा कि चाहे जितना धन व्यय हो परन्तु हमको हंसों के दर्शन यहीं करा दो। मंत्री ने वन में पक्षियों को दाना डलवाने का प्रबन्ध करवाया,औरभांति-भांति का अनाज और गल्ला वन में प्रतिदिन डाला जाने लगा और हर प्रकार का प्रबन्ध उनकी सुविधा का कर दिया गया। राजा का आदेश हो जाने के कारण कोई उन पक्षियों को कष्ट नहीं पहुँचा सकता था। इस सुविधा के कारण देश-विदेश के पक्षी वहां आकर एकत्र हो गए यहां तक कि मान- सरोवर तक के पक्षी उड़-उड़कर वहां चले आए और मानसरोवर खाली सा दिखाई देने लगा तो एक दिन एक हँसनी ने हँस से इसका कारण पूछा। उसने सब हाल कह दिया कि अमुक देश में पक्षियों के खाने-पीने और रहने का बहुत अच्छा प्रबन्ध है, इसलिए सब पक्षी वहां चले गए। अब तो हँसिनी ने हंस को भी वहां जाने के लिए बाध्य किया कि ऐसे धर्मात्मा और उदार व्यक्ति का, जो पक्षियों तक की देख-रेख करता है, अवश्य दर्शन करना चाहिये। दोनों मानसरोवर से उड़कर उस राजा के देश में आए और मंत्री ने राजा को उनका दर्शन कराया।
     यह कथा सुनाकर श्रीपरमहंसदयाल जी ने फरमाया कि जब मनुष्य भंडारे आदि में धन व्यय करता है और प्रत्येक धर्म एवं सम्प्रदाय के साधुओं का आना-जाना बना रहता है तो उसकी उदारता तथा धर्म का हाल सुनकर कभी न कभी हंसऔर परमहंस भी वहाँआ ही जाते हैं और भंडारा करने वाले व्यक्ति को आत्मिक धन से मालामाल कर देते हैं।

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