मंगलवार, 15 मार्च 2016

राजकुमार नौकर का दीवाना हो गया


एक राजकुमार अपने एक नौकर के प्यार में ऐसा दीवाना हो गया कि वह नौकर के संकेतों पर नाचने लगा। नौकर जो कुछ भी कहता, वह वही कुछ करता। नौकर से अपने काम लेने की बजाय वह उलटा उसी के काम करने लगा।यह बात जब राजा को ज्ञातहुई तो उसने राजकुमार को बुलाकर समझाया,परन्तु राजकुमार पर राजा की बातों का ज़रा भी असर न हुआ,अपितु वह कहने लगा-""पिता जी! हम दोनों में कोई भेद नहीं, हम दोनों एक जान हैं।''यह उत्तर सुनकर राजा बड़ा परेशान हुआ और सोच में पड़ गया कि राजकुमार को कैसे समझाया जाये?अन्ततः राजा ने मंत्री को बुलवायाऔर उससे कहा कि राजकुमार को इस विषय में किसी युक्ति से समझाये। मंत्री ने कहा-""राजा साहिब!मैं पूरा यत्न करूँगा।''एक दिन मंत्री ने राजकुमार से कहा-""पड़ोसी राजा का आपकी आयु का एक लड़का है। उसने आपको निमंत्रण भेजा है।राजा साहिब का विचार है किआप उसका निमंत्रण स्वीकार कर दो-चार दिन के लिए वहाँ हो आयें।'' राजकुमार ने मान लिया और मंत्री के साथ दूसरे दिन पड़ोसी राजकुमार से मिलने चला गया। वहाँ पहुँचने पर उसका भव्य स्वागतऔर खूब आदर-सत्कार हुआ।दोनों राजकुमार दिनभर खूब घूमते फिरते। जिधर से भी वे निकलते, सभी लोग हाथ जोड़कर खड़े हो जाते और दोनों की जय-जयकार करते। नौकर-चाकर हर पल उनकी सेवा-टहल में लगे रहते।उस राजा के लड़के काऔरअपना ऐसा मान-सम्मान देखकर राजकुमार की आँखें खुलीं। मंत्री ने उचित अवसर देखकर राजकुमार से कहा-""आपने अपनी हस्ती को पहचाना?''आप भी इसकी तरह ही राजा के पुत्र हैं।'' राजकुमार को अपनी हैसियत और श्रेष्ठता का बोध हुआ और वह उस दिन से अपने को राजकुमार समझने लगा और उसने नौकर का मोह छोड़ दिया।
इसी तरह ही यह जीव भी वास्तव मेंआत्मा है और परमपिता परमात्मा की सन्तान है,परन्तु भूल से वह स्वयं को शरीर समझ बैठा है। मनुष्य शरीर तो उसे इसलिए प्राप्त हुआ है कि वह इससे अपना वास्तविक काम ले ले। जीवात्मा स्वामी है जबकि शरीर नौकर है। आत्मा की हस्र्ती और उस का दर्ज़ा तो शरीर से बहुत ऊँचा है।

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