बुधवार, 2 मार्च 2016

मृत को देखकर बैराग्य हुआ


     एक सन्त की कथा है। ये सन्त एक राजा के लड़के थे।अभी ये शैशव अवस्था में ही थे कि इन्हें देखकर एक ज्योतिषी ने राजा से कहा-तुम्हारा पुत्र एक महान त्यागी सन्त होगा। ज्योतिषी की भविष्यवाणी सुन कर राजा ने इस भय से कि कहीं लड़का सचमुच ही साधु न बन जाए, उसे हरप्रकार के भोग-विलास तथा ऐश-आराम के सामान उपलब्ध कर दिये। उसने सोचा कि राजकुमार जब विषय-विलासिता में बुरी तरह फँस जायेगा तो वह साधु बनने का नाम भी न लेगा। इसके अतिरिक्त उसने राज्य में यह घोषणा भी करवा दी कि राज्य में यदि कोई व्यक्ति शरीर छोड़ जाये तो उसकी अन्त्येष्टि इस प्रकार की जाये कि राजकुमार को मौत की खबर तक न हो। जब राजा की मृत्यु हुई तो उसकीअन्तिम क्रिया भी इस प्रकार से की गई जिससे कि राजकुमार को पिता की मृत्यु का पता न चले। राजकुमार के बार बार पूछने पर उसे यह कह दिया जाता कि राजा तीर्थ-यात्रा पर गये हैं।
     एक दिन बड़े धूमधाम से राजकुमार की सवारी निकली, जिसमें अनेकों सुसज्जित हाथी, घोड़े, रथ आदि सम्मिलित थे। भाँति भाँति के बाजे बज रहे थे। सबके मध्य में राजकुमार रत्न जड़ित बहुमुल्य वस्त्र पहने राजसी ठाट-बाट के साथ एक सुसज्जित हाथी पर सवार था। मार्ग के दोनों ओर लोगों की भीड़ एकत्र थी और राजकुमार के जयघोष से आकाश गूँज रहा था। एकाएक जलूस में आगे चल रहा एक अधिकारी गिर कर मर गया। उसके मरने से वहाँ एक दम भीड़ लग गई जिससे सवारी रूक गई।भीड़ में शोर भी मच गया। वास्तविकता का पता लगाने के लिए राजकुमार स्वयं हाथी से नीचे उतरा और उस स्थान की ओर बढ़ गया यहाँ वह अधिकारी गिरा पड़ा था। राजकुमार को देखकर सब एक ओर हो गए। वहाँ पहुँचकर उसने क्या देखा कि एक व्यक्ति बीच मार्ग में गिरा पड़ा हैऔर उसी के कारण सवारी रूकी हुई है। राजकुमार ने एक मंत्री को आदेश दिया-इस व्यक्ति को शीघ्र खड़ा करो और इसे आगे बढ़ने के लिये कहो।मंत्री ने उत्तर दिया-राजकुमार! यह व्यक्ति अब खत्म हो चुका, मर चुका, इसलिए अब यह चलने-फिरने में असमर्थ है।
   राजकुमार ने कहा-अरे भाई!कैसी बात कर रहे हो?इसमें क्या खत्म हो गया,क्या मर गया? हाथ,पैर,सिर,पेट,आँख,कान-सभी कुछ तो मौजूद है,फिर इसमें मर क्या गया? मंत्री ने कहा-ये सब अँग विद्यमान होने पर भी इसमें जो चेतन सत्ता थी,जिसे आत्मा कहा जाता है,वह क्योंकि इसमें से निकल गई, इसलिए अब यह किसी भी स्थिति में चल नहीं सकता।
राजकुमार ने कहा-इसका अर्थ यह हुआ कि सब अंग ठीक-ठाक होते हुए भीआत्मा के शरीर में न होने के कारण अब यह नहीं चल सकता।
मंत्री ने कहा-जी हाँ!अब तो शरीर बेकार हो गया। वास्तविक वस्तु तो आत्मा ही है, वह गई तो सब कुछ गया। अब तो यह पांचभौतिक जड़ शरीर ही शेष रह गया है, जो आत्मा के बिना निर्जीव और निष्प्राण है। शरीर के निर्जीव हो जाने पर ही कहा जाता है कि व्यक्ति मर गया। राजकुमार ने कहा-अच्छा!तो आत्मा के निकल जाने से यह व्यक्ति अब मर गया।अब इस मरे हुए व्यक्ति का क्या करोगे?मंत्री ने कहा-अब इसे अग्नि के हवाले कर देंगे।
     राजकुमार ने कहा-तो क्या मेरे इस शरीर में से भी एक दिनआत्मा निकल जायेगीऔर तब क्या मेरे शरीर को भीअग्नि के हवाले करदोगे? मंत्री ने कहा-वह तो सबके साथ ऐसा ही होता है। राजकुमार ने कहा-इसका अभिप्राय यह हुआ कि मेरे इस शरीर की सत्ता तभी तक है,जब तक इसमेंआत्मा विद्यमान है। उसके निकल जाने पर यह शरीर निष्प्राण हो जायेगा। मंत्री ने कहा- जी हाँ! वास्तविक वस्तु तो आत्मा ही है।
     राजकुमार ने कहा- जब यह शरीर जड़ है, इसकी सत्ता आत्मा के कारण ही है और आत्मा ही वास्तविक वस्तु है, तो इसका मतलब यह हुआ कि मेरा वास्तविक स्वरूप आत्मा है,यह जड़ शरीर नहीं। मैं वास्तव में आत्मा हूँ,यह नश्वर और जड़ शरीर नहीं जब ऐसा है तो फिर इस असत एवं नश्वर शरीर के लिए इतने ठाठ-बाट और आडम्बर की क्या आवश्यकता है।मैं तो अब उसआत्मतत्त्व की ही खोज करूँगा जोकि मेरा वास्तविक स्वरूप है।

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