रविवार, 12 जून 2016

साधू को भोजन के लिये निमन्त्रण


एक दिन एक व्यक्ति ने किसी साधू को भोजन के लिये न्योता दिया, परन्तु उस समय उन दीन व्यक्ति के घर में कुछ भी न था, यहाँ तक कि साग में मिलाने को नमक भी न था, इसलिये अलोना साग ही अत्यन्त श्रद्धा भाव के साथ साधु के सम्मुख रख दिया। उसने उसको खाकर आशीर्वाद दिया जिस कारण उस दीन व्यक्ति को अत्याधिक धन प्राप्त हुआ। इस बात की चर्चा इतनी फैली कि उस नगर के शासक को भी उसका धन और यश देखकर ईष्र्या उत्पन्न हुई। और जब उस साधु के आशीर्वाद देने का वृत्तान्त ज्ञात हुआ तो ह्मदय में यही कामना रखकर कि मुझे भी साधु के आशीर्वाद से बहुत सा धन प्राप्त होगा, उसी साधु को ढुंढवा कर बुलवाया और अपनी रसोई मे भोजन खिलाया। उस शासक के ह्मदय में भावभक्ति तो थी नहीं, वहाँ तो स्वार्थ था, ईष्र्या थी और लोभ था। उसने साधु का उचित सत्कार भी न किया अपितु रसोइये को आज्ञा दी कि साधु को खाना खिला दो। शासक के रसोइये ने गर्म गर्म भोजन उस साधु को दिया। साधु को भोजन हाथ पर रखकर खाने की आदत थी जिसके कारण उसका हाथ जलने लगा। साधु तो भोजन करके चला गया कई दिन व्यतीत हो गये परन्तु शासक की इच्छा पूर्ण न हुई। उसे कहीं से कोई धन-सम्पत्ति प्राप्त न हुई तो उसने एक दिन कई लोगों के मध्य इस बात का वर्णन किया कि अमुक दीन व्यक्ति ने एक साधू को भोजन खिलाया तो उसे बहुत धन प्राप्त हुआ और वह दीन से धनी बन गया। मैने भी उसी साधु को भोजन खिलाया है, परन्तु मुझे तो कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। अकस्मात कोई सज्जन व्यक्ति, जो सत्संगी और सन्त सेवी था, वहीं विद्यमान था। उसने उत्तर दिया कि भाई साहिब! फल तो प्रत्येक कर्म का मिलता है। किया हुआ कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता। ह्मदय में सदैव निष्काम भावना रख कर कर्म करना चाहिये। और उसका थोड़ा मिले अथवा अधिक, शीघ्र मिले अथवा देर से, यह बात विधाता पर छोड़ देनी चाहिये। मनुष्य को क्या पता कि उसके भाग्य में क्या लिखा है? शुभ कर्मो के कारण आवश्यक नहीं कि धन-सम्पत्ति ही प्राप्त हो। ऐसा भी तो हो सकता है कि उस पर आने वाले कष्ट टल जायें। आपने यदि कोई शुभ कर्म किया है तो स्थान स्थान पर उसकी चर्चा न करें अपितु धीरज रखें। इन बातों को सुनकर उस शासक की तसल्ली हो गई।
     भाव यह कि भक्ति-भाव से सहज स्वभाव निष्काम कर्म करने का परिणाम कुछ और होता है, परन्तु जो काम ईष्र्या के कारण और फल की इच्छा से किया जाता है उसका फल उसका और ही होता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें