बुधवार, 15 जून 2016

ये सब कहां जा रहे हैं


     आज किसी नगर में जाइये, किसी भी कस्बे में जाइये, जहां भी जाइये, प्रत्येक व्यक्ति आवश्यकता से अधिक व्यस्त नज़र आता है। प्रातःकाल के समय देखिये तो सभी को जाने की जल्दी है। इसलिये कोई बस पकड़ने को भाग रहा है, कोई स्कूटर पर भागा चला जा रहा है और कोई तेज़ी से साइकिल पर। सभी को जल्दी है।
     एक बार एक नगर में एक साधु ने आठ दस व्यक्तियों को रुकने का संकेत किया, परन्तु किसी के पास भी इतना अवकाश न था कि रुक कर उसकी बात सुने।अन्ततः एक साइकिल सवार उसके संकेत पर रुका, शायद यह समझ कर कि वह इस नगर से अपरिचित है और कोई पता आदि पूछना चाहता है। पूछा तो साधू ने उससे अवश्य, परन्तु पूछा कुछ और ही। साधू तथा उस व्यक्ति के मध्य जो वार्तालाप हुआ, वह इस प्रकार था।
साधु-मैं जिधर दृष्टि डालता हूँ यही देखने में आता है कि सब जल्दी में हैं।किसी को बात सुनने की भी फुर्सत नहीं।यह सब भागदौड़ किसलिये? साधु की बात सुनकर वह व्यक्ति मुस्कराया और बोला बाबा! ये सभी
लोग काम पर जा रहे हैं।
साधु-काम पर?
व्यक्ति- जी हाँ! इनमें से कोई सरकारी कार्यालय में नौकर है, कोई प्राईवेट फर्म में कोई दुकानदार है तो कोई अध्यापक, कोई डाक्टर है तो कोई इंजीनियर-सभी को समय पर काम पर पहुँचना है, इसीलिये जल्दी में हैं।
साधु-काम किसलिये?
व्यक्ति-पैसा कमाने के लिये और किसलिये?
साधु-पैसा किसलिए?
व्यक्ति-खान-पान-पहरान के लिये।
साधु-खान-पान-पहरान किसलिये?
व्यक्ति-जीवन के लिए। जीवन के लिये ये सब कुछ तो चाहिए ही।
साधु-यह तो ठीक है, परन्तु जीवन किसलिए है?
     यह प्रश्न सुनकर उस व्यक्ति ने साधु की ओर ध्यान से देखा और साइकिल पर सवार होकर चल दिया। इस प्रश्न का शायद उसके पास कोई उत्तर नहीं था। उसके पास ही क्या, शायद किसी भी आम संसारी मनुष्य के पास इस प्रश्न का उत्तर नहीं है,क्योंकि आम संसारियों को इस बात का पता ही नहीं है कि यह जीवन किसलिए है? वह कौन सा वास्तविक कार्य है जिसके लिए यह जीवन,जिसे सब योनियों से श्रेष्ठ कहा गया है,उन्हें मिला है?इस वास्तविकता का पता तो सन्तों महापुरुषों की संगति में आने पर ही चलता है कि यह श्रेष्ठ जीवन केवल खाने पीने पहनने के लिए नहीं,प्रत्युत परमात्मा की भजन भक्ति के लिए मिलाहै। खाना पीना आदि जीवन को स्थिर रखने के लिए आवश्यक है,इसमें कोई सन्देह नहीं,परन्तु जीवन खाने पीने के लिए नहीं है,वह भजन भक्ति के लिए है। मनुष्य को चाहिए कि जीवन में वास्तविक कार्य परमात्मा की भजन भक्ति करके अपना जीवन सफल करे।

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