बुधवार, 24 अगस्त 2016

व्यक्तित्व आकर्षक कैसे बनायें


निम्न बातों को ध्यान में रखकर आप अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बना सकते हैं।
हमेशा सोच-समझ कर बोलें।। किसी दूसरे व्यक्ति की बातें आप भी धैर्यपूर्वक सुनें।। कभी मिथ्या ज्ञान के बारे में न बोलें।। अपनी आवाज़ पर ध्यान न दें, बहुत तेज़ न बोलें।। दूसरों की बातें पूरी सुनने के बाद ही बोलें।। जिस विषय पर आप बोलें उस पर पूर्ण अधिकार हो।। खाना खाते समय न बोलें।। अपनी गलती को सही सिद्ध करने की कोशिश न करें।। बोलते समय अपने स्तर का ध्यान रखें। बड़ों से बात करते समय उनके लिए सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करें।। सामने वाले की रुचि के अनुसार बोलें, गलत शब्द न बोलें।।अपने से छोटों से बात करते समय उनसे सीमित बात करें। अगर आप उनसे ज्यादा बात करेंगे तो हो सकता है आपकी बातों पर ध्यान न दें और आपका मज़ाक बनाएं।। बोलते समय हिले-डुले नहीं और न हाथ हिलाएं, बोलते समय मुँह से थूक न उड़ाएँ, सार्वजनिक स्थानों पर धीरे बोलें, फोन पर भी धीरे-धीरे बात करें।। अपने से छोटों का किसी आगन्तुक के सामने अपमान न करें।। महफिल में, किसी पर कोई इस तरह का कमैंट न करें जिससे उस व्यक्ति का अपमान हो, दूसरे व्यक्ति के वस्त्रों पर टिप्पणी न करें।। अगर कोई किसी की बुराई कर रहा है तो हो सके तो वहां से हट जाएं या चुप रहकर सुनें।। किसी को भी गलत नाम से न पुकारें।। अपने नौकर से ज्यादा बातें न करें , हमेशा हंसने के अंदाज़ में बात करें, घर आने वाले आगन्तुक की बातें सुनने-समझने की कोशिश करें।। यदि दूसरे व्यक्ति से बातें करते समय कोई गलत बात मुँह से निकल जाती है तो उस बात को लेकर हंसी न बनाएं, न ही उसे बीच में टोकें। आपके ऐसा करने में और व्यक्ति भी आप से बात करने में कतराएँगे। ऐसी बातों को नज़र अंदाज़ कर दें तो अच्छा है।। बच्चों के सामने बड़ों के लिए अपशब्द न कहें। बच्चों में सभी से सम्मानपूर्वक बोलने की आदत डालें।। बढ़ती आबादी के कारण मकान प्रायः पास-पास और ऊपर-नीचे होते हैं ऐसे में जहां तक हो धीरे-धीरे ही बोलें जिससे पास के घर तक आवाज़ न जाए।। अगर दो व्यक्ति बातें कर रहे हों तो बिना मांगे अपनी सलाह न दें।। किसी दूसरे के घर की बातों में दखलंदाज़ी न करें। अगर वह आपसे सलाह मांगे भी, तो उसे अपनी समस्या खुद ही सुलझाने का सुझाव दें।। हर बात पर ठहाका लगा कर न हंसे, सार्वजनिक स्थान पर धीर धीरे हंसे।। किसी के बारे में गलत बात न करें, अगर वह बात उसके कानों तक पहुँच गई अगर आप में  ऐसी कोई आदत है जिसके बारे में घर के सदस्य पहले आपको टोक चुके हों, ऐसी आदत को छोड़ने की कोशिश करें।।आपका मधुर हास्य कई रोते हुए दिलों को खिला सकता है। प्रसन्न व्यक्ति स्वस्थ भी रहता है और लोकप्रिय भी।। परनिंदा से बचिये। सदा गुणों को ही देखने का प्रयास कीजिए। दोष नहीं, अगर देखें भी तो उनकी चर्चा न करें, किसी की खिल्ली न उड़ाएँ। व्यंग्य न करें, चुगलखोरी कभी न करें, बात के धनी बनिए। दिया हुआ वचन निभाने का हर संभव प्रयास करें। कहकर कभी न मुकरें। उसे प्राणपण से निभाएं।। साथ ही चारित्रिक दृढ़ता के लिए भी प्रयास करें।। हर सुंदर वस्तु केवल हमारे उपभोग के लिए नहीं बनी है, अतः मन में लालच को प्रवेश न करने दे। बड़े बुज़ुर्गों को आदर सम्मान दें, चाहे वे परिचित हों या अपरिचित,। इसी प्रकार बराबरी वालों से समानता और छोटों से मित्रता का व्यवहार करें। कभी किसी की तरफ उंगली दिखाकर बात न करें, यह बहुत ही अपमानजनक होता है। सामने हाथ बांधकर बैठने से भी बचें, यह बचावकारी रवैया दर्शाता है। वार्तालाप के कारण ज्यादा हाथ चलाना भी ठीक नहीं। इसका आशय यह भी नहीं कि एकदम जड़वत बैठे रहें। बेवजह अपने पेन, पल्लू से ने खेलें, बार-बार अपने चेहरे या बालों पर हाथ ना फेरें। एक के ऊपर एक पैर मोड़ कर न बैठें, कोई व्याख्यान या भाषण देते समय या खड़े होकर बात करते समय ज्यादा हिलें डुले नहीं। ज्यादा ऊंची आवाज़ में बात करना दूसरों को अच्छा न लगने के साथ ही असभ्यता का प्रतीक है, अक्सर लोगों को फोन पर चिल्ला-चिल्लाकर बात करने की आदत होती है जो दूसकों के काम में व्यवधान डालता है। हरदिन किसी की एक  अच्छी बात की प्रशंसा करें, ध्यान रखें कि बेवजह ऐसा न करें, झूठी प्रशंसा से अच्छा है कि आप प्रशंसा ही न करें। नहर किसी में कुछ न कुछ अच्छा होता है, उसे सराहना, प्रोत्साहन देना आवश्यक है। ¬इन सब बातों को अगर आप अपनाएँगे तो आपका व्यक्तित्व और भी निखल आएगा।

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