मंगलवार, 13 सितंबर 2016

चोर मुसे घर आई


     मन रे जागत रहिये भाई।
     गाफिल होई बसत मति खोवे, चोर मुसै घर जाई।
असावधान होकर जीओगे, गाफिल होकर जीओगे, बेहोश जीओगे, नशे-नशे में जीओगे तो वह जो भीतर बसता है,वह जो भीतर का मालिक है, उसका तुम्हें कभी भी पता न चलेगा। वह जो भीतर बसा है तुम्हारे घर में। और जब भीतर का पुरुष, भीतर का दिया अन्धेरे से ढंक जाए,गहन रात में खो जाए,भीतर की प्रतिभा सो जाए जागी न हो,तो फिर चोर घर में घुसना शुरु हो जाता है।बुद्ध ने कहा है,घर में कोई न भी होऔर सिर्फ दिया जलता हो तो भी चोर डरते हैं, घर में कोई न भी हो लेकिन दिया जलता हो,तो भी चोर दूर दूर चलते हैं। क्योंकि दिये के जलने से खबर, शायद घर में कोई हो।जिस दिन भीतर का दिया जलता है,उस दिन चोर प्रवेश नहीं करते। चोर कौन है? जो भी तुम्हें प्रतिक्रिया में ले जाते हैं, वे सभी चोर हैं। किसी ने गाली दी और तुम प्रभावित हो गये। चोर भीतर घुस गया। अब यह चोर तुम्हें नुकसान पहुँचाएगा। यह बड़े मजे की बात है,गाली देने वाला तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाता था, न पहुँचा सकता था।उसकी सामथ्र्य न थी,चोर बाहर था,क्या करेगा?लेकिन तुमने चोर को भीतर बुला लिया। तुम क्रोधित हो गए।अब नुकसान होगा। महावीर ने बार-बार कहा है, तुमसे बड़ा तुम्हारा कोई मित्र भी नहीं है और तुमसे बड़ा तुम्हारा कोई शत्रु भी नहीं है।अगर तुम चोरों को भीतर घुसने दोगे, तो तुम्हीं शत्रु हो। जिसने गाली दी,वह शत्रु नहीं है। क्योंकि इसकी गाली तो बाहर पड़ी रह जाती,अगर तुम अक्रोध में रहे आते।अप्रभावित अगर तुम गुज़र जाते,तो इनकी गाली भीतर प्रवेशकैसे करती?किसी ने सम्मान किया,सम्मान में कोई खतरा नहीं है।लेकिन तुम अकड़ गए,अहंकार आ गया। चोर भीतर घुस गया।चोर तुम्हारे कारण भीतर घुसता है, दूसरे के कारण नहीं। एक सुन्दर स्त्री गुजरी। उसे पता भी न होगा, कि आप वहां मन्दिर के सामने खड़े क्या कर रहे थे?या मन्दिर के भीतर आप तो पूजा कर रहे थे और एक स्त्री भी आकर झुकी। स्त्री को कुछ पता भी न हो, स्त्री का कुछ हाथ भी न हो, चोर आपके भीतर घुस गया।किसी ने गाली दी,तब तो हमें यह भी लगता है कि कम से कम इसने गाली तो दी।कुछ तो इसका हाथ है।लेकिन एक सुन्दर स्त्री पास से गुज़री, उसने आपकी तरफ देखा भी नहीं, लेकिन चोर  भीतर घुस गया। आपने चोर खुद ही बुला लिया। काम जग गया। वासना जग गई। आप गाफिल हो गए। मुश्किल में पड़ गए। बेचैनी हो गई। एक उत्तप्तता ने घेर लिया। खो दिया केन्द्र अपना। सपना जग गया नींद आ गई।
     गाफिल होई बसत मति खोवै, चोर मुसै घर जाई।
जैसे ही तुम गाफिल हुए, वैसे ही चोर भीतर घुस जाता है। तो तुम्हारी गफलत ही असली कारण है। बुद्ध एक गांव के पास से गुज़रे। लोगों ने गालियाँ दी,अपमान किया। बुद्ध ने कहा,क्या मैं जाऊँ,अगर बात पूरी हो गई हो?क्योंकि दूसरे गांव मुझे जल्दी पहुँचना है। लोगो ने कहा,यह कोई बात न थी। हमने भद्दे से भद्दे शब्दों का प्रयोग किया है,क्या तुम बहरे हो गए? क्या तुमने सुना नहीं? बुद्ध ने कहा कि सुन रहा हूँ।पूरे गौर से सुन रहा हूँ।इस तरह सुन रहा हूँ,जैसा पहले मैने कभी सुना ही न था, लेकिन तुम ज़रा देर करकेआए।दस साल पहले आना था।अब मैं जाग गया हूँ। अब चोरों को भीतर घुसने का मौका न रहा।तुम गाली देते हो।मैं देखता हूँ। गाली मेरे तक आती है और लौट जाती है। ग्राहक मौजूद नहीं है । तुम दुकानदार हो। तुम्हें जो बेचना है, तुम ले आए हो। लेकिन ग्राहक मौजूद नहीं है। ग्राहक दस साल हुए मर गया।पीछे के गांव में कुछ लोग मिठाइयां लाए थे।मेरा पेट भरा था,तो मैने उससे कहा,वापिस ले जाओ। मैं तुमसे पूछता हूं, वे क्या करेगें?किसी ने भीड़ में से कहा, जाकर गांव में बांंट देंगे,खा लेंगे। बुद्ध ने कहा,तुम क्या करोगे?तुम गालियों के थाल सजाकर लाए। मेरा पेट भरा है। दस साल से भर गया। तुम ज़रा देर करके आए।अब तुम क्या करोगे? इन गालियों को वापिस ले जाओगे, बांटोगे,या खुद खाओगे?मैं नहीं लेता।तुम गलत आदमी के पासआ गये।
और जब तक मैं न लूं, तुम कैसे गाली दे सकते हो? देना तुम्हारे हाथ में है, लेने की मालकियत तो सदा मेरे हाथ में है। देने से ही तो काम पूरा नहीं हो जाता।यह अधूरी प्रक्रिया है। और मजा यह है, कि अगर तुम लेने को तत्पर हो, तो बिना दिए भी मिल जाता है। कोई आदमी हँस रहा है। वह किसी और कारण से हँस रहा है, तुमको चोट लग गई। तुम समझे, तुम्हारे कारण हँस रहा है। तुम्हारी अकड़ ऐसी है कि तुम सोचते हो, दुनियाँ में जो भी हो रहा है, तुम्हारे कारण हो रहा है। लोग हँस रहे है। तो तुम्हारी वजह से हँस रहे है। लोग धीरे-धीरे घुस घुस करके बातें कर  रहे हैं, तो तुम्हारी निन्दा कर रहे है अन्यथा घुस घुस करके क्यों बातें करेंगे। जैसे तुम केन्द्र हो सारे संसार के, कि जो भी यहाँ हो रहा है, तुम्हारी वजह से हो रहा है। फूल खिल रहे है, तो तुम्हारे लिए। चादँ-तारे उग रहे हैं तो तुम्हारे लिए। गालियाँ आ रही हैं तो तुम्हारे लिए। लोग हँस रहे है, मज़ाक कर रहे हैं तो तुम्हारे लिए। तुमने सारी दुनियाँ को अपने सिर पर उठा रखा है। जो तुम्हें नहीं दिया गया है, वह भी तुम ले लेते हो। जो होशपूर्वक,व्यक्ति बुद्ध जैसा व्यक्ति वही लेता है, जो लेना है।

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