गुरुवार, 10 नवंबर 2016

ठगों ने ब्रााहृण से बकरी ठगी


कोई आदमी भक्ति की तरफ जाये तो कहते हैं कि क्या पागलपन कर रहे हो?ज़िन्दगी छोड़कर कहां भागे चले जा रहे हो?लेकिन ऐसा हो जाता है अगर बहुत लोग यही कहें तो बेचारा जो जा रहा है प्रभु की तरफ, वह भी सोचने लगता है कि पता नहीं क्योंकि जब सारे लोग कह रहे हैं, हज़ारों लोग यही कह रहे हैं तो यही ठीक कहते होंगे।
    एक ब्रााहृण एक गांव से एक बकरी खरीदकर वापिस लौट रहा है। बड़ी प्रसिद्ध है कहानी,लेकिन आधी सुनी होगी।मैं पूरी ही सुनाना चाहता हूँवह बकरी को रखकर कंधे पर वापिस लौट रहा है।सांझ हो गयी है,दो चार ठगों ने उसे देखा है।उन्होंने कहा,अरे!यह बकरी तो बड़ी स्वादिष्ट मालूम पड़ती है।इस नासमझ ब्रााहृण के साथ जा रही है,इसको मजा भी क्या आयेगा,ब्रााहृण को भी क्या,बकरी को भी क्या। इस बकरी को छीन लेना चाहिए। एक ठग नेआकर उसके सामने उस ब्रााहृण से कहा,पंडित  जी नमस्कार। बड़ा अच्छा कुत्ता खरीद लाये। उसने कहा, कुत्ता। बकरी है महाशय। आँखें कमज़ोर हैं आपकी?उसने कहा, बकरी कहते हैं इसे आप?आश्चर्य है। हम भी बकरी को जानते हैं। लेकिन आपकी मर्ज़ी, अपनीअपनी मर्ज़ी कोई कुत्ते को बकरी कहना चाहे तो कहे। वहआदमी चल पड़ा। उस ब्रााहृण ने सोचा,अज़ीब पागल हैं इस गांव के।बकरी को कुत्ता कहते हैं?लेकिन फिर भी एक दफे टटोल कर देखा शक तो थोड़ा आया ही। लेकिन उसने पाया कि बकरी है। बिलकुल फिज़ूल  की बात है। अभी दस कदम आगे बढ़ा था। शक मिटाकर किसी तरह आश्वस्त हुआ था कि दूसरा उनका साथी मिला। उसने कहा,नमस्कार पंड़ित जी। लेकिनआश्चर्य,ब्रााहृण होकर कुत्ता सिरपर रखें।जाति से बाहर होना है? उसने कहा,कुत्ता।लेकिनअब वह उतनी हिम्मत से न कह सका कि यह बकरी है। हिम्मत कमज़ोर पड़ गयी।उसने कहा,आपको कुत्ता दिखायी पड़ता है?उसने कहा,दिखायी पड़ता है? है। नीचे उतारिए, गांव का कोई आदमी देख लेगा पड़ोस का तो मुश्किल में पड़ जायेंगे।वह आदमी गया तो उस ब्रााहृण ने उस बकरी को नीचे उतारकर गौर से देखा वह बिल्कुल बकरी थी। यह तो बिल्कुल बकरी है,लेकिन दो-दो आदमी भूल कर जाये,यह ज़रा मुश्किल है फिर भी सोचा, मज़ाक भी कर सकते हैं। चला फिर कंधे पर रखकर,लेकिन अब वह डरकर चल रहा है,अब वह ज़रा अंधेरे में से बचकर निकल रहा है। अब वह गलियों में से चलने लगा है, अब वह रास्ते पर नहीं चल रहा है। तीसरा आदमी उसे एक गली के किनारे पर मिला। उसने कहा,पंडित जी हद्द कर दी। कुत्ता कहां मिल गया?कुत्ते की तलाश मुझे भी है। कहां से ले आये हैं यह कुत्ता, ऐसा मैं भी चाहता हूँ। तब तो वह यह भी न कह सका कि क्या कह रहे हैं। उसने कहा कि जी हां, खरीद कर ला रहा हूँ। वह आदमी गया कि फिर उसने उतारकर भी नहीं देखा,उसे छोड़ा एक कौने में और भागा। उसने ने कहा कि अब इससे भाग ही जाना उचित है। झंझट हो जायेगी, गांव के लोग देख लेंगे। पैसे तो मुफ्त गये ही गये, जाति और चली जायेगी।यह जो तीन आदमी कह गये हैं एक बात को तो बड़ी सच
मालूम पड़ने लगती है।(ठग-मन मायाऔर काल)यह तोआधी कहानी है।
दूसरा जन्म में ब्रााहृण फिर बकरी लेकर चलता था। बकरी लेकर लौट रहा है लेकिन पिछले जन्म की याद है। वह जिसको याद रह जाये उसी को तो ब्रााहृण कहना चाहिए,बकरी लेकर लौट रहा है, वही ठग।असल में हम भूल जाते हैं इसलिए ख्याल नहीं रहता है,कि वही वही बार बार हमको कई बार मिलते हैं,कई जन्म में वही लोग बारबार मिल जाते हैं। वही तीन ठग उन्होंने देखा अरे। ब्रााहृण बकरी को लिए चला जा रहा है। छीन लो,उन्हें कुछ पता नहीं है कि पहले भी छीन चुके हैं। किसको पता है?अगर हमें पता हो कि हम पहले भी यही कर चुके हैं तो शायद फिर दुबारा करना मुश्किल हो जाये।फिर उन्होंने षडयंत्र रच लिया है। फिर एक ठग उसे रास्ते पर मिला है। उसने कहा,नमस्कार पंडित जी। बड़ा अच्छा कुत्ता कहां ले जा रहे हैं?पंडित जी ने कहा, कुत्ता सच में बड़ाअच्छा है। उसने गौर से देखा,ठग ने सोचा,हमको तो बकरी दिखायी पड़ती थी, हम तो धोखा देने के लिए कुत्ता कहते थे। और उस पंडित ने कहा, कुत्ता सच में बड़ा अच्छा है,बड़ी मुश्किल से मिला, बहुत मांगकर लाया,बड़ी मेहनत की,खुशामद की किसी आदमी की,तब मिला।उस ठग ने बहुत गौर से फिर से देखा कि मामला क्या है,भूल हो गयी है?लेकिन उसने कहा, नहीं पंडित जी,कुत्ता ही है न।उसने कहा,कैसी बात कर रहे हैं आप,कुत्ता ही है।अब वह ठग मुश्किल में पड़ गया है,वह यह भीनहीं कह सकता कि बकरी है, क्योंकि खुद उसने कुत्ता कहा था। दूसरे कौने पर दूसरा ठग मिला। उसने कहा कि धन्य हैं। धन्य महाराज,आप कुत्ता सिर पर लिए हुए हैं? ब्रााहृण ने कहा, कुत्ते से मुझे बड़ा प्रेम है।आपको पसंद नहीं आया कुत्ता?उस आदमी ने गौर से देखा, उसने कहा कुत्ता।
तीसरे चौरस्ते पर मिला है तीसरा आदमी, लेकिन उन दोनों ने उसको खबर दे दी कि मालूम होता है, हम ही गलती में हैं। हमें बकरी दिखायी पड़ रही है। उस तीसरे आदमी ने गौर से देखा।और उस पंडित ने कहा, क्या देख रहे हैं गौर से?उसने कहा,कुछ नहीं,आपका कुत्ता देख रहा हूँ। काफी अच्छा है।

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